और उसने उन्हें समझाना शुरु किया, “मनुष्य के पुत्र को बहुत सी यातनाएँ उठानी होंगी और बुजुर्ग, प्रमुख याजक तथा धर्मशास्त्रियोंं द्वारा वह नकारा जायेगा और निश्चय ही वह मार दिया जायेगा। और फिर तीसरे दिन वह मरे हुओं में से जी उठेगा।”
तब मसीह येशु उन्हें यह समझाने लगे कि यह अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र अनेक यातनाएँ सहे, पुरनियों, प्रधान पुरोहितों तथा विधान के शिक्षकों द्वारा तुच्छ घोषित किया जाए, उसकी हत्या कर दी जाए और तीन दिन बाद वह मरे हुओं में से जीवित हो जाए.